मां! बस थ्हारौ आसरौ हैं
मां! बस अब थ्हारौ ही
आसरौ दिखे है मन्ने
किण माथै भरोसौ करूं
थ्हारे सिवा म्हारौ कोई नी
इण दुनिया रै मांयने
अपणापण रो चोळौ
ओढ्यौड़ां मिनखं
आपणी गरज काढ़यां पसै
असली रंग बता देवै हैं
अर भूंड़ौ भी मन्ने केवै हैं।
बस थ्हूं ध्यान राखजै इण सेवक रौ
ओर मन्ने कीं नी चाहिजै हैं
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया…✍️