मां धरती
जिसके बिन निश्रेणी संवित्ति
इस भोली-भाली सी सृष्टि में
जिसके बिना कुलीन भरना
गमन धावना बड़ा दुस्साध्य।
धरती अगर भू, धरा पर न रही
तो लगेगी खाधन्न की किल्लत
जिस कारण सभी प्राणी वान
त्यागे गे अपना मनोरम काया ।
जिसके बिन दुविधा असंभाव्य
न जी सकता कोई शख्स यहां
तसव्वुर भी करना दूभर-दुसाध्य
इस अकुटिल सी धारा आलम में ।
जिसके बिन अनंत महितल पे
जीवन जीना बड़ा कष्ठ साध्य
यह हमारी माता के है समान
हयात के लिए महत्ता मां की ।