मां तुम्हें सरहद की वो बाते बताने आ गया हूं।।
भारती की आरती का, गान गाने आ गया हूं
मां तुम्हें सरहद की वो बाते बताने आ गया हूं
क्या गजब का लड़ रहा है, वीर अब बेखौफ से,
लगता है कि ये जना है, सिंहनी की कौख से
मां सभी तैयार थे, अब मारने की होड़ में,
तीव्रता से चल पड़े वो, काल से इस मोड़ में।
मैं भला कैसे ठहराता, देश की रक्षार्थ में,
और मैं भी चल पड़ा था, सैनिकों के साथ में
मां चली थी गोलियां, बेटा तेरा बैखोफ था
ना देख पाया मैं विजय को, बस इसी का शोक था
मां तेरा बेटा समर में, काल बन कर छा गया था,
और मुझको देखकर, दुश्मन बहुत घबरा गया था,
मां इसीलिए मैं लड़ा बहुत, अपना कर्तव्य निभाने को,
क्या ताकत है इस मिट्टी की, दुश्मन को आज बताने को
मां मुझको था ज्ञात सभी, फिर तुझसे ना मिल पाऊंगा,
मैं मरकर भी इस भारत में, तेरा गौरव लहराऊंगा,
अब मैं ये पावन तिरंगा, ओड के घर आ गया हूं,
मां तुम्हें सरहद की वो बाते बताने आ गया हूं।।
रवि यादव, कवि
कोटा, राजस्थान
9571796024