मां जैसा रिश्ता कोई भी नहीं
**मां जैसा रिश्ता कोई भी नहीं**
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काफिया-ई , रदीफ-भी नहीं
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मां जैसा रिश्ता कोई भी नही,
सो जाए शिशु,खुद सोई भी नहीं।
सुख दुख सह के वो घबराती नही,
सहती रहती है , रोई भी नहीं।
मां बनने का है सुख मां को मिला,
रातों को उठ कर , बोली भी नही।
जीवन जंग जीत कर माता है बने,
मृत्यु सेज पर वो डोली भी नहीं।
लालन पालन में व्यस्त सदा,
दो पल भी आपा खोई भी नहीं।
जग में चाहे तुम जाओ भी कहाँ,
मिलती माता बिन ढोई भी नहीं।
औलादों पर कर नौसार सदा,
मां जैसी कोई भोली भी नहीं।
मां बाजारों मैं मिलती ही नहीं,
जग में है मां जैसा सोही भी नहीं।
मनसीरत मां पग में जन्नत छिपी,
मां जैसी कोई लोरी भी नहीं।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)