मां के तट पर
मां रेवा के तट पर,
मिले शांति सुकून।
जब बैठूं मां के पास,
मन में खिले प्रसून।।
रोज लगी भाग दौड़,
खत्म न होता काम।
बीत रही है तेरी मेरी,
खुशियों की हर शाम।।
कुछ क्षण यूं चुरा कर,
जी लूं फिर दिल खोल।
प्रेम स्नेह में डूबकर,
बोलू मीठे मीठे बोल।।
सुन कल कल की ध्वनि,
बढ़ जाता उमंग उत्साह।
जीने की मिले नई दिशा,
भक्ति में है शक्ति अथाह।।
—जेपीएल