मां की रक्षा
अब छोड दो आशा जीवन और मरन की।कूद पर मैं दान मे लेकर सौगन्ध मेरे वतन की।मानव का धर्म नहीं है अतयाचार सहन की।वीर कभी चिंता नही करते है अपनी गर्दन की। माता की लाज बचाने मे अगर होती है कुरबानी।वीर गति को होगा बनकर अमर कहानी।
अब छोड दो आशा जीवन और मरन की।कूद पर मैं दान मे लेकर सौगन्ध मेरे वतन की।मानव का धर्म नहीं है अतयाचार सहन की।वीर कभी चिंता नही करते है अपनी गर्दन की। माता की लाज बचाने मे अगर होती है कुरबानी।वीर गति को होगा बनकर अमर कहानी।