मां की याद
शीर्षक – मां की याद
*************
मां तो एक जीवन जिंदगी होती हैं।
हमारे मन भावों में रिश्ते नाते होते हैं।
सच तो बस शब्दों में हम सब कहते हैं।
मां की याद तो एक एहसास होती हैं।
हम सभी की अपनी सोच और समझ होती हैं।
बस मां की याद वृद्धाश्रम में रहती हैं।
आज की आधुनिक युग में बस मां की याद आती हैं।
बचपन की लोरी और मां की याद आती हैं।
प्रेम मोहब्बत पत्नी मां की याद भूलाती है।
सच तो यही हमारी सोच समझ कहती हैं।
हां मां की याद ही तो हमें एक सच कहतीं हैं।
मन ही मन भावों में मां की याद आती हैं।
सच और सोच हमारी समय के साथ रहती हैं।
मां तो बस एक सम्मान ही मां की याद आती हैं।
******************
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र