मां की महानता
कैसा सुंदर प्यारा प्यारा ,
मां से ही तो है जग सारा l
मां जन्म देती ममता को,
मां ही बनती पालनहारा ।।
मां के आंचल में ही पलते,
शेर सरीखे बालक वीर ।
धरती को है मां का दर्जा ,
पालन करती छाती चीर ।।
मां अपने बच्चों खातिर,
शेर से भी भीड़ जाती है ।
जाने अनजाने कभी-कभी,
पति से भी लड़ जाती है।।
बच्चों के भविष्य खातिर,
कड़ी मेहनत करती है ।
खुशियां बांटती बच्चों को,
पर खुद दुख सहती है।।
अपनी खुशियों को दबाकर ,
बच्चों पर देती रहती ध्यान ।
बस यही होती एक चाहत,
मेरे बेटे बने खूब महान।।
मां से मिले संस्कारों कारण,
बेटों ने है जग को जीता ।
सतपाल सत्य का सारथी ,
जसै सरिता बनी पविता।।