मां की ममता
मां की ममता
मेरी मां तब मुझे क्रोध करती
फिर भी क्राध्ेा में ममता छलकती
फिर उपर नीचे मैंने पटकती
कहे तू खूब पढ़ा कर
मैं तो ना पढण पाइ्र
क्यू अनपढ़ रही बताई
मैरे तो काम नै घणी सताई
कहै तू खूब पढ़ा कर
तेरी ममता का आंचल मां
तेरी लाज राखूंगा मां
तेरा नाम रोशन करूं मां
कहे तू खूब पढ़ा कर
मैं टेम पै छोरियां मैं
नाम गाम अर गोरियों में
बाहर ना काढ़ा करते
कहे तू खूब पढ़ाकर
आज तेरी ममता का
भाई बाहण समता की
इस कलीहारी जनता का
मैंने करा छट कर सामना
कहे तू खूब पढ़ा कर
तेरी रोटी की वा याद
बाजरे की खिचडी कर याद
घणाएं आया करता स्वाद
कहे तू खूब पढा कर
जित जाउं उडे ले ज्या
खेत पिहर गेल्या ले ज्या
फेर मन्नै अण्डे जू से ज्या
कहे तू खूब पढा कर
तेरी ममता का मैं क्यूंकर कर्ज तारू
तेरे कर्म का मैं क्यूकर फर्ज तारू
मन्नै नौकरी मिले या कयूकर मर्ज तारू
कहे तू खूब पढ़ा कर
आपणा गाम में सै एक फट
है सबतै निर्धन अर जरजर
मैं तेरे खातर फिरू सूं दर-दर
कहे तू खूब पढ़ा कर
सारे समाज में इज्जत खूब होरी सै
मेरे दो छोरे अर दो छोरी सै
इनकी ममता मन्ने दिल में वे याद लोरी सै
कहे तू खूब पढ़ा कर
पिता भी डाटया करता
खेत घर का काम खूब करा करता
फेर भी छह जीव का पेट भरा करता
तन्ने कहा तू खूब पढा कर
मेरे बालकां नै मैं अच्छी नौकरी लगाउं
अच्छा छोकरा छोरी खातर छोरा खातर अच्छी छोकरी ल्याउं
फेर में घणा सामान खाण का टोकरी भर भर ल्याउं
कहवै तू खूब पढा कर
तेरी ममता का फर्ज मेरे तै जीते ना उतरैगा
अगर नौकरी मिलगी तो मां तन्नै ना खतरेगा
फेर आपने बालकां को पेट ठीक भरदे गा
कहवै तू खूब पढ़ा कर
खान भावडिया नै मां की ममता बताई
सारे न बराबर समझे ना कदे करै सताई
सारे गाम के सुन लो चाचा ताऊ बाहण भाई
कहवै तू खूब पढ़ा कर।
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खान मनजीत भावड़िया मजीद
गांव भावड़ सोनीपत हरियाणा
9671504409