मां की तरसती निगाहें
किसी को तो ढूंढ रही है
ये तरसती निगाहें
कुछ तो कहना चाहती है
ये तरसती निगाहें
आज आंसुओं से भरी है
ये तरसती निगाहें
खिड़की से झांक रही है
जो ये तरसती निगाहें।।
बात हुई तो ये पता चला
उसका भी एक बेटा है
जो दूर विदेश में रहता है
जल्द मिलने आऊंगा मां
हर बार यही कहता है।।
बड़े नाजों से उसको पाला है
जो मां को बहुत ही प्यारा है
उसके बुढ़ापे का वो सहारा है
जिसको मां के दिल ने पुकारा है।।
आज नहीं तो कल आएगा
उसको भी तो मां की फिक्र है
भूल गया वो मां को ऐसा नहीं
उसकी हर बात में मां का ज़िक्र है।।
देखना चाहती है मां अब
अपने बेटे को जी भरकर
अब उसको चैन मिलेगा
बस पोते को गले लगाकर।।
याद आ रहा उसको अब
वो बचपन का गुज़रा ज़माना
जब बेटा कहता था उसको
मां अकेले छोड़कर ना जाना।।
अकेले आज मां रह गई
बेटे के भविष्य की खातिर
ढूंढ रही है निगाहें उसकी
दिख जाए मेरा नन्हा शातिर।।
आज वो दिन आ गया
जब बेटा घर आ गया
देखने को थी बेकरार
मां की आंखें जिसको
वो पोता भी आ गया।।
आज मिल गया जिसे ढूंढ रही थी
मां की वो तरसती निगाहें
सब कह गई जो कहना चाहती थी
मां की वो तरसती निगाहें
खुशी के आंसुओं से भरी है आज
मां की वो तरसती निगाहें
खिड़की भी बंद है जिससे झांकती थी
मां की वो तरसती निगाहें।।