मां और सासू मां
इक माँ थी जन्मदायनी
दुजी को था विवाहोपरान्त पाया
दोनों ही को था इक दूजे के समान पाया
इसीलिये तो था ममता का तात्पर्य और भी गहराया
एक थी की त्याग की सूरत
तो दूजी थी ममता की मूरत
तरुणावस्था में जब इक माँ का उठ गया था साया
तो दूजी का था स्नेहिल स्पर्श पाया
तब एक को ख्यालो में तो दूजी को
हकीकत में था अपने समकक्ष पाया
एक ने था आदर्श बेटी बनने का पाठ पढ़ाया
तो दूजी ने था उस बेटी को अपने आंचल में समाया
हर विषम परिस्थिति में एक ने था प्यार का बादल बरसाया
तो दूजी ने ऐसे ही में धैर्य और संयम का पाठ पढ़ाया
दिल की आँखो से जो देखू उनको
तो दोनों ही को अपने समीप था पाया,
उस ममतामयी स्पर्श की अनुभूति मात्र से
मेरा रोम-रोम हर्षाया
मेरा रोम रोम हर्षाया
डा कामिनी खुराना (एम.एस., ऑब्स एंड गायनी)