मां ओ मां
भ्रूण हत्या पर कविता
मां ओ मां
मां ओ मां जल्दी से दिल का दरवाजा खोलो ।
मुझको धड़कनों में आने दो ।।
एक बार मुझको अपनी कह कर मुस्कुरा दो ।
मां देखो ना मां तुम कितनी सुंदर हो
मुझको भी सुंदर और साकार बनने दो ।।
बेचैन हूं मैं यह बात सुनकर तुम्हें बेटी पसंद नहीं ।
फैसला अपना बदलो मां मुझको ना मिटने दो ।।
मां ओ मां जल्दी से दिल का दरवाजा खोलो ।
मुझको धड़कनों में आने दो ।।
मैं बनकर परी आऊंगी
तुम्हारे सपनों को साकार कर
बेटे से ज्यादा बन जाऊंगी ।।
मां ओ मां जल्दी से दिल का दरवाजा खोलो ।
मुझको धड़कनों में आने दो।।
अन्जू (ओझल )