मांझी मोड़ ले नांव अब
रे मांझी
मोड़ ले नांव अब
हम हारे
दिल का दांव अब…
(१)
ओझल हुई
डोली प्यार की
मरघट हुआ
यह गांव अब…
(२)
देह में आग
लगाएगी बस
बरगद की
वह छांव अब…
(३)
कोयल की
कूक भी हमें
लगती कौए
की कांव अब…
(४)
वह नहीं यहां
आने वाली
जकड़े हुए
उसके पांव अब…
(५)
आएंगी याद
कई बातें
रूकते ही
इस ठांव अब…
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Shekhar Chandra Mitra
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