मांग रहे हैं ज्ञान
कुंद पुष्प की माल है, मांँ वाणी के कंठ।
भक्ति में डूबे हुए, मुदित सभी आकंठ।
धवल वस्त्र को धारती, धवल पद्म आसीन।
ज्ञान बुद्धि सब सिद्धियांँ,मांँ तेरे आधीन।
मांँ बुद्धि में बैठकर, करो तमस का नाश।
भरे कंठ में मधुरता,जन-जन की अभिलाष।
माँ सबको आशीष दे, वाणी का वरदान।
तेरे चरणों में पड़े, मांँग रहे हैं ज्ञान।