मांग पत्र
काश तुम तब मिले होते
बसता था प्यार जब
दिल के किसी कोने में |
शायर था दिल
प्यासी थी अंखिया
अक्स के दीदार को |
टूट कर बिखर गया
अब प्यार के खेल में
समझ लिया था खिलौना मुझे
मेरे ही चाहने वालो ने |
फिर भी करता हूँ, समर्पण
स्वयं का, तेरी बाहों में
तुने आज अनस से कुछ
पहली बार मांगा हैं |