माँ
तूने मुझे लिखा है
मैं तुझ पर क्या लिख सकता हूँ।
मदर्स डे पर लोग मुझसे कहने लगे
माँ पर कुछ लिख।
मैं क्या लिखूँ
क्या मैं सचमुच इतना बडा हो गया हूँ
कि तुझ पर कुछ लिखूँ।
दुनिया में सबसे बडी तू ही तो है
सबसे पहली गुरु भी तू ही तो है।
क्या मेरी कलम सक्षम है ओर कुछ लिखने में।
जन्म देकर बहुत उपकार किया है मुझ पर तूने।
बडे नाजो से पाला रात रात भर जागी।
हर पल प्रार्थना रहती थी परमपिता से तुम्हारी
मेरा बेटा स्वस्थ रहे खुश रहे हमेशा।
ज्यों ज्यों मैं बडा होता गया
गोदी में तुम्हारी खेलना छूट गया
मुझे खिलाना पिलाना नहलाना सुलाना सब छूट गया।
कभी पिताजी गुस्सा होते थे इस बात पर
मुझ पर ज्यादा ध्यान था तुम्हारा।
बाहर खेलने जाने लगा था तब
तुम्हें बहुत चिंता रहती थी मेरी।
फिर स्कूल उसके बाद कालेज
नौकरी और फिर शादी
तुमसे दूर होता चला गया मैं।
पर तुम्हारी तरफ से स्नेह की कोई कमी न थी।
तुम्हारे लिए आज भी छोटा बच्चा हूँ
कितने दुख सहन करती हो मेरे लिए आज भी।
दुआ करती हो मेरे लिए सलामती की।
नही चाहिए मुझे भी ये संसार माँ।
मुझे भी अच्छा नहीं लगता तुम्हारे बिना।
सोचता हूं मैं क्यों बडा हो गया हूँ
तुम्हारी गोदी में खेलने वाला छोटा बच्चा क्यों नहीं हूँ मैं।
एक तुम ही तो हो जो मेरे भविष्य की चिंता करती हो।
फिर मैं क्यों तुम्हें भूल जाऊँ।
माँ तुम महान हो
इतनी महान कि शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता।
दुनिया के किसी शब्दकोष में कोई ऐसे शब्द नही
जो तुम्हारा महिमा का बखान कर सकें।
प्रणाम माँ।बारम्बार प्रणाम।।
अशोक छाबडा
21082016