—– माँ —–
माँ, औरत का एक ऐसा रूप है, जिसका संपूर्ण जीवन ,पवित्रता, त्याग, ममता, प्यार, बलिदान में निहित होता है। शायद ही दुनियाँ का कोई अन्य रिश्ता ऐसा हो, जिसमें इतने सारे गुड़ एक साथ बिध्यमान हो । माँ तो हमेशा अपनी संतानों के प्रति भला ही सोचती है और हर वक्त बस इसी चिंता में डूबी रहती है कि कहीं उसके जिगर का टुकड़ा अपने मार्ग से इधर उधर न भटक जाए। हम भले ही कितने भी समझदार व् उम्र में बड़े हो जाएँ परंतु माँ की चिंता हमारे लिए तब भी वैसी ही होती है, जैसी कि बचपन में होती थी।
अपनी हर साँस के साथ माँ अपने बच्चों की सलामती व खुशहाली की दुआएं माँगती है। उसके पूजा-पाठ, व्रत-उपवास, अादि सभी में आशीर्वाद एवं दुआएँ शामिल होती हैं अपने परिवार एवं बच्चों की सलामती की।
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मात्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
धीरेन्द्र वर्मा