*माँ : 7 दोहे*
माँ : 7 दोहे
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(1)
जिसको माँ ने दे दिया ,दिल से आशीर्वाद
समझो उसको मिल गया,प्रभु का दिव्य प्रसाद
(2)
माँ गंगा का जल सुखद ,माँ जाड़ों की धूप
जिसने पाई माँ उसे ,समझो जग में भूप
(3)
जगते – सोते हर समय , आँखों. में संतान
बच्चे क्या कुछ कर रहे ,माँ को सब अनुमान
(4)
बच्चों को खुश देखती ,होती खूब निहाल
दुनिया के हर वार पर ,माँ .बच्चों की ढाल
(5)
पाई जब उपलब्धियाँ , मिले ढेर सम्मान
आँखों में आकर बसी ,माँ की मधु मुस्कान
(6)
दुनिया जलती धूप है ,माँ बरगद की छाँव
स्वर्ग वहीं पर है जहाँ , बसते माँ के पाँव
(7)
रोने की आवाज थी , जैसे शहद समान
जन्म दिया माँ ने सुनी ,उतरी सभी थकान
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451