माँ
एक सेतु सा बनाती
पिता और मेरे बीच
माँ
ममता का पेड लगाती
मधु फल भी खिलाती
माँ
दुख से राहत वो देती
सुबह की पावन धूप सी
माँ
पापा की डॉट से बचा
ढाल मेरी बन जाती है
माँ
कोख में था जब मैं
जहाँ से बेखबर था
माँ
समय की मार से
बड़ा सुरक्षित था मैं
माँ
सुंदर सबसे ठिठाना था
शीतलता मंद बयार सी
माँ
जब होता परेशां मैं
याद आ जाती है मुझे
माँ
अर्पण करूँ मैं क्या
तूने अर्पण अपना दिया
माँ