Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 May 2024 · 4 min read

माँ -2

Settings

एक बच्चा जो अपनी माँ से बिछड़ कर कहीं बाहर रह राहा है और वह माँ को याद करते हुए एक कविता इस प्रकार लिखता है और अपना प्यार माँ के प्रति व्यक्त करता है…………….मेरी कलम से

✍कवि दीपक सरल

माँ एक बार मेरे पास आ जा ना माँ,
अपने हाथ से रोटी खिला जा ना माँ ,

दुनिया में कोई अपना नहीं ये बता जा
सर अपनी गोद में रखकर सुला जा ना !

तू फुक मार के मेरी चोट को ठीक कर
मुझे बुखार तो नहीं ये बता जा ना माँ ,

मतलब की दुनिया से ऊब गया हूँ मैं..
एक बार सीने से लगा जा ना माँ…. !

मेरा जन्म दिन भी अभी आने वाला है..
मुझे अपने हाथ से केक खिला जा ना..,

मैं बहुत मेहनत कर रहा हूं……………
माँ के साथ दुनिया घूमनी है ना ……..!

अभी मेरे दिन अच्छे आने वाले है……
मेरे साथ तू खुशियों बना जा ना माँ….,

मैं तुझे बहुत प्यार करता हूं ना माँ……
तू मुझे कभी छोड़ कर मत जाना माँ… !

मेरे साथ बैठ, कई लम्हे गुजर जाने दे…
तू अपनी ख़्वाइस मुझे बता न माँ…….,

मेरे लिए तूने बहुत कुछ किया है…….
जरा अब तो तू खुशियां बना न माँ……!

तू खुस है तो मेरी दुनिया खुस लगती है.
तेरे बिना ये मेला बिरान है माँ ……….,

मैने रोटी खाई या नहीं तू ही पूछती है माँ
तेरी उमर हमें बड़ा करने में निकल गई..!

थोड़ी अपनी भी फिकर करा कर माँ….
मुझे तू दुनिया मैं हारने से बचा ना माँ…,

तेरा हाथ जब तक मेरे हाथ में है……..
डर नहीं मुझे कौन कौन खिलाफ मैं है.!

बस में आए दुनिया जीत लाउ तेरे लिए..
अपना आशीर्वाद सर पर थमा न माँ….. ,

माँ तू कहती है मैं अभी बच्चा हूं……….
ये दुनिया मुझ पर तरस नहीं खाती है….,

मुझे हर मंजिल पे बार बार गिराती है…
ऐसा नहीं करते तू ये बता ना माँ………!

मेरे जेब में पैसे नहीं,पापा से दिला ना माँ.
याद है मुझे साइकिल भी दिलानी है….. ,

मुझे बहुत सारे खिलौने भी लेने हैं अभी.
पापा से सिफारिश लगवा दे ना माँ…… !

कोई रिस्तेदार आए तो पैसे देकर जाए.
बेटा बहुत अच्छा है उन्हें ये तू बताना माँ.,

ये दुनिया मुझमें बहुत ऐब निकलती है…
मैं कैसा हूं दुनिया को ये बता ना माँ …..!

तेरे लिए अभी बहुत कुछ करना बाकी है.
तेरे लिए कई रोतो से लड़ना बाकी है….,

अभी मंजिल हमारी बीच में है………….
अभी सपना पूरा करना बाकी है मां……!

तू चिंता मत कर मैं सब संभाल लूंगा…..
सब परिस्थियों के मुताबिक ढाल लुंगा…,

तू भरोसा रखना मुझ पर मैं हूँ ना माँ..
मैं रातों से सबेरा निकाल लुंगा माँ ….!

दिल से जुड़ा रिश्ता कोई नहीं है…….
तेरे सिवा तेरे जैसा कोई नहीं है…….,
तू मेरे साथ बैठ ना इक दिन…………
मैं तुझको सारा हिसाब दूंगा माँ………!

मेरी पसंद नापसंद कोई ओर क्या जाने.
मेरे खाने की तलब मिटा जा ना माँ……,

हजारो रुपये होटल पर गवा कर देखे हैं.
तेरे जैसा स्वाद कहा आता है माँ…….. !

खुशियों के लिए कितनों से लोहा लिया है
उलझे मुकद्दर को कितनी बार सिया है…,

हमारे खातिर सुबह सुबह जग जाती है… सुबह होते ही काम पर लग जाती है….. !

बिना पगार के सारे फर्ज निभानी है……
क्या बताऊ कहा से आती है माँ……….!

ये दुनिया हमेशा पैसे से मोल करती है..
तेरी नजरो में मेरे क्या मोल है मां……. ,

दुनिया ये सुनती नहीं है मेरी ………….
मेरी कीमत दुनिया को बता जा ना माँ…!

तूने हमेशा खुशियों के लिए कुर्बानी दी है
तू एक बार खुलकर मुस्कुरा ना माँ…….,

मुझे थर्मामीटर पर भरोसा होता नहीं…..
बुखार तो नहीं हाथ पकड़ कर बता ना..!

अलार्म रात मैं जब भी भर के सोता हूं….
उठकर अलार्म मैं बंद कर देता हूं……….,

मुझे कल सुबह स्कूल भी जाना है………
मुझे तू जल्दी जगा जा ना माँ…………. !

मेरे स्कूल में अध्यापक बहुत मारते हैं…..
उनको एक बार समझा दे ना माँ ………,

मुझे जल्दी जल्दी छुट्टी दे देंगे…………..
मेरे साथ स्कूल चल दे ना माँ……………!

मुझे अभी भी यू बच्चा समझती है…….
फिर भी ये क्या होता है जा रहा है……,

मेरे कपड़े छोटे होते जा रहे हैं…………
या मैं बड़ा होता जा रहा हूं माँ ………..!

मेरे कपडे बड़े संभाल के रखे है तूने….
मेरे बढती उम का हिसाब है तेरे पास….,

3 बोलता हूं रोज 4 रोटी रख देती है…..
क्या तुझे गिंनती नहीं आती है माँ……..,

बच्चे भूखे ना रह जाए रहे जाए तेरे……
खुद ठीक से नहीं खाती है माँ…………!

मेरा नसीब मैं सब अच्छा ही होगा…….
मेरे लिए तू खुदा से लड़ जाति है माँ….,

जब मैं रात को सो नहीं पाता………….
तू अपनी नींद गबाती है मां…………….!

डॉक्टर, टीचर, बने, मेरे लिए तू………
क्या क्या बन जाती है माँ…………….,

जन्म देने में मौत से लड़ जाती हैं…….,
तब जाकार हमारे देहे में प्राण लाती है.!

दुख का आलम कोई या कोई बात हो….
बिना बताए माँ सब समझ जाती है…….,

अपनी थाली का भी हिस्सा वो……..
बच्चों को बाटकर खिला देती है माँ…..!

ऐसा भी अब कौन भला कर सकता है…
माँ हो साथ जुगनू अंधकार हर सकता है,

अंधेरों का आलम है सूरज सी सुबह कर
सर्दीयों की रातो से हमें बच्चा जा ना माँ.!

बार बार पैर मारकर कंबल हटा दैता हुॅ..
माँ फिर फिर मुझे कंबल उड़ा दे ………,

बच्चे को ना लग जाए सर्दी…………..
उसकी खातिर अपनी नींद गवाती है….. !

मजबूर होकर ही मेरा दिल जुड़ा हुआ है..
पत्ता कब राजी से पेड़ से जुदा हुआ है..,

मुझको नोकरी तुझसे जुदा किया है……
तू एक बार यहां भी आ जा ना माँ……!

✍कवि दीपक सरल

Language: Hindi

83 Views

You may also like these posts

ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
......... ढेरा.......
......... ढेरा.......
Naushaba Suriya
3783.💐 *पूर्णिका* 💐
3783.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
" अधरों पर मधु बोल "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
खूबसूरती से
खूबसूरती से
Chitra Bisht
पके फलों के रूपों को देखें
पके फलों के रूपों को देखें
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
"दिल का हाल सुने दिल वाला"
Pushpraj Anant
श्री राम जी की हो रही
श्री राम जी की हो रही
Dr Archana Gupta
..
..
*प्रणय*
"कोशिशो के भी सपने होते हैं"
Ekta chitrangini
ये  कैसी  मंजिल  है  इश्क  की.....
ये कैसी मंजिल है इश्क की.....
shabina. Naaz
जमाने की राहें
जमाने की राहें
सोबन सिंह रावत
क्यों करते हो गुरुर अपने इस चार दिन के ठाठ पर
क्यों करते हो गुरुर अपने इस चार दिन के ठाठ पर
Sandeep Kumar
मेरे अंतस में ......
मेरे अंतस में ......
sushil sarna
विषय:गुलाब
विषय:गुलाब
Harminder Kaur
अंगद उवाच
अंगद उवाच
Indu Singh
मंदिर नहीं, अस्पताल चाहिए
मंदिर नहीं, अस्पताल चाहिए
Shekhar Chandra Mitra
देखो भय्या मान भी जाओ ,मेरा घरौंदा यूँ न गिराओ
देखो भय्या मान भी जाओ ,मेरा घरौंदा यूँ न गिराओ
पूर्वार्थ
बचपन
बचपन
Vivek saswat Shukla
चंद्रयान थ्री मिशन
चंद्रयान थ्री मिशन
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
वो ही तो यहाँ बदनाम प्यार को करते हैं
वो ही तो यहाँ बदनाम प्यार को करते हैं
gurudeenverma198
बनकर हवा का झोंका तेरे शहर में आऊंगा एक दिन,
बनकर हवा का झोंका तेरे शहर में आऊंगा एक दिन,
डी. के. निवातिया
सास बहू..…. एक सोच
सास बहू..…. एक सोच
Neeraj Agarwal
मात-पिता गुरु का ऋण बड़ा, जन्मों न चुक पाए
मात-पिता गुरु का ऋण बड़ा, जन्मों न चुक पाए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मंटू और चिड़ियाँ
मंटू और चिड़ियाँ
SHAMA PARVEEN
दोहे- चार क़दम
दोहे- चार क़दम
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
अद्भुत मोदी
अद्भुत मोदी
©️ दामिनी नारायण सिंह
औरों के लिए जो कोई बढ़ता है,
औरों के लिए जो कोई बढ़ता है,
Ajit Kumar "Karn"
*नेक सलाह*
*नेक सलाह*
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
👍बाटी खाने के नियम..😃
👍बाटी खाने के नियम..😃
Rituraj shivem verma
Loading...