माँ
जब रोया तो आँख में पानी,
मुझे न मालूम कहते क्या।
प्यार से पोंछ के गले लगाके,
कहती लल्ला को चहिये क्या।
फिर भी न बतायी मुझे कभी,
तू बचपन में क्यों रोता था।
न ही करती खुद की बड़ाई,
कि मेरी ही थाप से सोता था।
ये माँ का प्यार है मान लो तुम,
वरना सब कहते मैंने ये किया।
कितना प्यार दी होगी हमे वो,
अब तक मैंने है उसे क्या दिया।
माँ ही ज़न्नत माँ ही दरिया,
माँ ही समंदर की गहराई।
माँ बाती है माँ ही दिया,
माँ ही जीवन की परछाई।