माँ
मां
मां कहते हीं
ममता की मूर्ति
वात्सल्य की शीतल छांह
आँखों के आगे आ जाती हैं
माँ है जन्नत की तस्वीर
अनन्त असीम स्नेह का स्वर्ग
मां की गोद में अपूर्व आनन्द
अद्वितीय अनोखा
मां जीवन की प्रेरणा
उर्जा उत्साह बन कर
कुछ भी करने की शक्ति
दे देती है।
उंचाईयों को छूने का
संबल ‘ देती है।
मां दुआ है
. हमदर्द मित्र
अनमोल संपति है
मां की गोद सकून से भरी
प्यार दुलार भरी
मां जैसा कोई नहीं
मां के प्यार के लिए तो
कृष्ण ने शरारती खेल रचे
मां की मुस्कान के लिए
राम कुछ भी करने को
तत्पर रहते
मां की छांह के लिए
देवी देवता भी
लालायित रहते
जिस की माँ होती है
उस पर भगवान भी
मेहरबान होते हैं
मां कहते ही
मधुर मिठास
भर जाती है जीवन मैं
मां का स्थान
सर्वोपरि है
मां का स्थान
काई नहीं ले सकता
कोई भी नहीं।
डॉ करुणा भल्ला