माँ
माँ
सांवली सलोनी सूरत है
मेरी माँ दुनिया की
सबसे ख़ूबसूरत मूरत है।
उसके साये में रहकर
मेरी खुशियाँ बेमोल हैं
मेरी खातिर !!
जितना भी सोच उसने
उसका ना कोई हिसाब है
मेरी माँ मेरे लिए मेरा ख़्वाब है।
अपने हर दुख को दरकिनार
ढमुझे सुख से पाला
उसके कर्ज का मेरे पास
ना कोई हिसाब है
मेरी सांसों से रूह तक
मुझे मेरी माँ का ख्याल है।
कितनी सदियाँ बीत गई
चेहरे पर झुर्रियां भी पड़ गई
रुखसत तो कर दिया
तूने दर से अपने मुझे
मेरा ख़याल रखने की
तेरी यही आदत बड़ी बेमिसाल है।
तेरे ना होने के एहसास से ही
बेजान सा यह मन हो जाता है
फिर सोच कर तेरे बारे में
बचपन मेरा लौट आता है
माँ तेरा तसव्वुर ही मेरी पहचान है।
माँ तेरे इस एहसास को
कैसै मैं बयां करूं
माँ बनकर भी मैं
तुमसी माँ नहीं बन पाई हूँ
कर्ज रहेगा ताउम्र तुम्हारा मुझ पर
यही तो माँ तेरे होने में ही
मुझमें मेरी जान है।
हरमिंदर कौर, अमरोहा उत्तर प्रदेश