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16 Apr 2024 · 1 min read

माँ

माँ
तुम स्त्री मत बनना
हमेशा दूर रहना आधुनिक स्त्रीत्व से
ताकि तुम्हारे अंदर मातृत्त्व हमेशा
जीवित रहे
हमेशा अपनी अलग पहचान रखना
उस स्त्रीत्व से
हाँ,
वही स्त्रीत्व जो खूब फल फूल रहा है
संयुक्त परिवारों में
घर की चहारदीवारी के भीतर।
माँ! तुम अपनी शक्ति पहचानो,
तुम्हें विचलित करेंगे
घर के लोग
अपने स्वार्थ की पूर्त्ति हेतु
तोड़ देंगे तुम्हारी साँस-साँस
नस-नस
पर तुम मातृत्त्व पर,
माँ की ममता पर
आँच मत आने देना
तुम स्त्रीत्व से दूर
मातृत्त्व की परिधि के अंदर ही रहना
जहाँ तुम्हारे कानों तक
अपनो के भी
मुख और मन से उगले गये ज़हर
पहुँच ना पाएँ
और तुम्हारा मन हमेशा
समदृष्टि के साथ
‘माँ’ होने पर गर्व करे
‘स्त्री’ होने पर नहीं।
—अनिल कुमार मिश्र

Language: Hindi
107 Views

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