माँ
मरूँ तो मैं मिट्टी मुझको हिंदुस्तान की मिले
जीऊँ तो मैं मुझको खुशबू इसी बागबान की मिले
बस इतना करना मां मेरी मां ओ मां मेरी
तेरी खातिर केश कटाए शीश कुर्बान किया
उस भगत सिंह ने देखो जवानों क्या काम किया
हर सांस में हर आस में हर ग्रास में हर विश्वास में
यह देह बलिदान हो मेरी ,ओ मां मेरी ओ मां मेरी
दीवारों में शहीद हुए ना मुंह से आह निकली
ना अत्याचारी का गुणगान किया ना झूठी उसकी वाह निकली तेरे हर कण में जो झूमें रण में
लक्ष कोटिगण जन-जन में
मेरे मन में छवि महान हो तेरी ,ओ मां मेरी ओ मां मेरी
आती जाती सांस में तेरा ही नाम निकले
जय भारत जय भारत जय हिंदुस्तान निकले
जल में थल में सुख-दुख के पल में
आज अभी या कल में संकट विकट विकल में
छवि बस विराजमान हो तेरी ओ मां मेरी ओ मां मेरी
बागों में बहारों में आसमान के तारों में
दरिया समंदर के नजारों में, एक दो नहीं हजारों में
यारों में प्यारों में दिखे मुझको बस भारती मां मेरी
ओ मां मेरी ओ मां मेरी