माँ
मातृ दिवस की आप सभी को अनंतानंत हार्दिक शुभकामनाएँ।
” सादर चरणस्पर्श माँ ”
【 #माँँ 】
गीतिका छंद
2122 2122 2122 212 या
ला ल लाला / ला ल लाला / ला ल लाला / लालला
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चेतना है पुत्र की माँ, तू दवा अवसाद है।
इस धरा पर देव जितने, सब तुम्हारे बाद हैं।।
ज्ञान की अद्भुत सरोवर, तुम हि करुणा पावनी।
माँ तुम्हारी डाँट भी, लगती हमें मनभावनी।
है अलौकिक नेह तेरा, हस्त अद्भुत स्वाद है।
इस धरा पर देव जितनें, सब तुम्हारे बाद हैं।।
रात्रि में मुझको सुलाकर, भी तुम्हारा जागना।
दुख सभी अपने लिए सुख, पुत्र के हित मांगना।।
त्याग की तू पुस्तिका, स्नेह की अनुवाद है।
इस धरा पर देव जितनें, सब तुम्हारे बाद हैं।
कोख में नव माह रखकर, कष्ट नानाविध सहे।
पीर पर्वत सी सही पर, अश्रु दृग से कब बहे।।
दान की माँ पटकथा, तुझसे जगत आबाद है।
इस धरा पर देव जितने, सब तुम्हारे बाद हैं।।
माँ तुम्हारे त्याग की मैं, मोल दे सकता नहीं।
कह सकूँ महिमा तुम्हारी, काश! मैं वक्ता नहीं।।
उपनिषद अरु वेद कहते, माँ सुखद संवाद है।
इस धरा पर देव जितने, सब तुम्हारे बाद हैं।।
✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण, बिहार