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10 May 2021 · 1 min read

माँ

गज़ल

मैंने देखा उसे ……….बंदगी की तरह!
साथ में माँ रही ……जिंदगी की तरह!

जिसने खुद की कभी भी न परवाह की,
वो सदा ही रही, …….बेखुदी की तरह!

माँ ने लोहा लिया जब भी ..इतिहास में,
हैं गवा चांद तारे ………जमीं की तरह!

चाहे जैसे भी ………हालात घर के रहे,
उसने गम भी हैं देखे …खुशी की तरह!

शान में माँ की गर, कुछ भी लिख जाए तो,
हो सफल लेखनी इक ……कवी की तरह!

जिंदगी में सभी तो …………ठहर भी गए,
माँ तो बहती रही, ……बस नदी की तरह!

माँ की ममता अमर है, ……….रहेगी सदा,
कितनी सदियों से है…….चांदनी की तरह!

….. ✍ प्रेमी

1 Like · 4 Comments · 338 Views
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