माँ
माँ की ममता का कोई मोल न चुका पाए
माँ के आगे तो ईश्वर भी शीश झुकाए
माँ के आँचल में संसार के सभी सुख हैं
बिना माँ के तो जीवन में दुख ही दुख है
माँ के चरणों से ही जन्नत के द्वार खुलते हैं
ब्रह्मा, विष्णु, शिवादि माँ के आगे झुकते हैं
माँ से बढ़कर तीनों लोकों में न कोई दूजा
माँ के चरणों की विधाता भी करते हैं पूजा
माँ की महानता का पार न कोई पाए
मातृशक्ति के आगे दुनिया सारी झुक जाए
माँ की दुआओं से जीवन ये सँवर जाता है
बदकिस्मत का भी भाग्य बदल जाता है
अपने संतान की खातिर माँ भूखी रह जाती
कितने कष्टों को निज तन पर वो सह जाती
लोरी गाकर अपने सीने पर माँ सुलाती है
मखमल की शय्या माँ की गोद ही बन जाती है
माँ की गोदी में ही सारा जहान होता है
उसकी आँचल के तले आसमान होता है
वृद्धाश्रम में कई अभागे माँ को छोड़ आते
ऐसे कपूत हमेशा नरक को ही जाते
माँ ने हमें जन्म दिया उसका तुम सम्मान करो
सुख से जीना है तो किसी माँ का न अपमान करो
माँ के कई रुप हैं इसका पार न कोई पाए
माँ को हम छोड़कर देवालय भला क्यों जाएं
माँ की ममता का कोई कर सके बखान नहीं
कलम थक जाती है पर थकते हैं निशान नहीं।