माँ
माँ:-
रातों को जाग कर उसने, हमें सुलाया है,
खुद भूखे रह लिया, लेकिन हमें खिलाया है,
धूप में खड़ी रही है माँ, सारी उम्र पिता बन कर,
पर माँ ने हमें छाँव में जीना सिखाया है।
हमारी ज़रा-सी दर्द से, बेचैन हो फिरती है,
हमें तकलीफ में देख, सौ बार मरती है,
ताक़तवर नहीं है, हमारे लिए सबसे लड़ती है,
माँ योद्धा है, वीर है,
माँ नदी है, नीर है,
माँ फूल सी कोमल
माँ चट्टान सी मजबूत,
माँ धूप सी तेज़
माँ छाया की रूप,
माँ शब्द है शायर की
माँ हर्फ़ है आयात की,
माँ है तो सब है
माँ है तो रब है,
माँ बिन माँगी दुआ है
माँ हर मर्ज़ की दवा है,
माँ है तो गीत है
माँ है तो सब रीत है,
माँ है तो रिश्तों में मिठास है
माँ है तो सागर में भी प्यास है।
-सरफ़राज़