माँ
माँ का प्रेम अनमोल है,
जग में न कोई तोल है।
दो उँगल जगह न मिले,
इस जग में अगर तुझे,
जा माँ की गोद सो ले,
उसका आँचल बेमोल है।
लाख हो असाध्य रोग
लगा हो गलन का रोग।
माँ को आती हीं घृणा,
लगाए मरम उसपर भी,
तन से आती दुर्गंध हो,
लगाती हृदय फिर भी।
ऐसी ममतामयी को तू,
अंत में वृद्धाश्रम छोड़ आता है क्यों?