माँ
“माँ”
लिख पाऊं शब्दों में तुमको,
वो अधिकार कहां है?
गा सकूं सरगम में तुमको,
वो सुर का संसार कहाँ है?
गहराई नापूं मैं ममता की,
इसका पारावार कहाँ है?
तेरा आँचल जन्नत मेरी,
मेरा कोई घरबार कहां है?
मेरे इस जीवन का “ए माँ!”
और कोई आधार कहाँ है?
-शशि “मंजुलाहृदय”
आप सभी को मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।