माँ
पढ़ लेती जो दिल के अंदरखाने है
बिना कहे माँ हाल हमारा जाने है
कभी नहीं छुप सकता है माँ से कुछ भी
बच्चों का हर हाव भाव पहचाने है
मीठी मीठी नींद सुलाती बच्चों को
मधुर सुनाती माँ लोरी से गाने है
बच्चों के दुख में रोती सुख में हँसती
उनको ही माँ अपनी दुनिया माने है
नहीं देखती कष्ट कभी अपने तन के
करके रहती जो माँ मन में ठाने है
रखती नहीं हिसाब कभी माँ ममता का
सुनती रहती पर बच्चों के ताने है
बच्चों के जीवन से बीन ‘अर्चना’ गम
बोती रहती माँ खुशियों के दाने है
10-02-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद