इतनी क्यों याद आती है माँ
जब कभी रूठ जाती है माँ
तो बहुत याद आती है माँ
आंसू रुकते नहीं हैं मिरे
जब मुझे याद आती है माँ
जब मुझे नींद आती नहीं
लोरी गा कर सुलाती है माँ
अपने बच्चों को खुश देखकर
अपना दुःख भूल जाती है माँ
सारा दिन खुश रहें इसलिए
रोज़ हंस कर जगाती है माँ
झूम जाता हूँ खुश हो के में
जब भी सपनों में आती है माँ
काला टीका लगा कर कभी
बद नज़र से बचाती है माँ
सारे दुःख भूल जाता हूँ मैं
सीने से जब लगाती है माँ
मुझको जन्नत का होता गुमां
गोद में जब सुलाती है माँ
मेरी ग़लती पे भी डांट कर
फिर गले से लगाती है माँ
कोई आतिफ़ बताये ज़रा
इतनी क्यों याद आती है माँ