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17 May 2019 · 1 min read

माँ

खुशियों से बच्चों की झोली भरती है
माँ मुझको तो एक परी सी लगती है

देख नहीं पाती है बच्चों को दुख में
उनके रोने पर माँ भी रो पड़ती है

अपने बच्चों पर जाती वारी वारी
बात बात पर नज़र उतारा करती है

सब कहते हैं मैं हूँ बिल्कुल माँ जैसी
मेरे अंदर ही मेरी माँ बसती है

खो जाती अक्सर माँ मेरी आँखों मे
मुझमें अपना बचपन ढूंढा करती है

बच्चों की बस खुशियाँ हैं उसको प्यारी
उनके पीछे माँ दीवानी रहती है

लगी ‘अर्चना’ पूजा में नित माँ रहती
बुरा न हो जाये कुछ इससे डरती है

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

Language: Hindi
349 Views
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