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17 May 2019 · 1 min read

माँ

17-05-2019

माँ
****

ममता के आंचल से ढककर रखती है
माँ मुझको तो एक परी सी लगती है

देख नहीं पाती है वो मेरे को दुख को
मेरे रोने पर माँ भी रो पड़ती है

मेरी जीत सफलता पर जाती वारी
बात बात पर नज़र उतारा करती है

सब कहते हैं मैं हूँ बिल्कुल माँ जैसी
मेरे अंदर ही मेरी माँ बसती है

खो जाती अक्सर माँ मेरी आँखों मे
मुझमें अपना बचपन ढूंढा करती है

मेरी खुशियाँ ही है बस उसको प्यारी
उनके पीछे माँ दीवानी रहती है

लगी ‘अर्चना’ पूजा में नित माँ रहती
बुरा न हो जाये कुछ इससे डरती है

17-05-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

1 Like · 573 Views
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