माँ
ये माँ की दुआ का असर है
ग़म क्या है मुझे ना ख़बर है।
देखे जिस जगह सिर्फ ख़ुदा
माँ की उस जगह भी नज़र है।
जिसके सिर पर न वो हाथ हो
उसके जीवन पर तो कहर है।
जब तक साथ माँ की रहमतें
आसान यह जीवन डगर है।
आशीष गर मिलें उसकी हमें
होती ख़ुशनुमा हर सहर है।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान)
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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