माँ
बिनु माँ के सूनी धरा, सूना है संसार ।
ममता माता से सिखो, कहे राज यह सार ।
माँ की महिमा है अमित , वर्णित वेद पुराण ।
जो नर महिमा नित कहे , होता है कल्याण ।
===============================
मनमंदिर की मूरति माता , तीरथ हैं घर द्वार।
गंगा जमुना सरस्वती जल, संगम प्रिय संसार ।
राजकिशोर मिश्र ‘राज’ प्रतापगढ़ी