माँ
विधा :- कविता
शीर्षक माँ
माँ तेरे तनिक स्पर्श से
सारी वेदना मिट जाती
अहसास नित जगाती
मन प्रफुल्लित कर जाती
जब थका मन आँचल में ढककर
माँ की गोदी सिरहाने बनाकर
सिर पर हाथो से सहलाकर
मन मेरा शान्त क्षणिक में होता
मंत्र मुग्ध होता मन
माँ मीठी लोरी सुनाती
मधुर वाणी मे राग अलापती
मानो जन्नत की सैर कराती
पेट में ज्वाला जब लगती
माँ अपने तन से स्पर्श कराती
सारी पीड़ा हरण क्षण में करती
ममता की छांव बन रखवाली करती
दुनियाँ के प्रपंचों से हमे बचाती
उनकी जीवन की पाठशाला न्यारी
तजुर्बे के तर्क वितर्क से अपनी
माँ हमेशा प्यार से समझाती
माँ का रिश्ता
कायनात का श्रेष्ठ फरिश्ता
माँ से बढ़कर दौलत का नही रिस्ता
माँ गुणों का खजाना अपनाती
जिसकी माँ नहीं
वो किस्मत का मारा
माँ ने पुकारा जब लगा
जहाँ ने पुकारा सारा
एल आर सेजु थोब ‘प्रिंस’