माँ
डॉ सुनीता सिंह
हरियाणा
माँ
प्रकृति सी हरी भरी
मखमली गोद वाली है माँ I
सीधी रेखा सी सरल
स्मित मुस्कान वाली है माँ I
सागर सी गहरी
अनन्त आशाओं वाली है माँ I
ज्योति सी दीप्त
झिलमिल सितारों वाली है माँ I
कुमकुम सी खिली
पवित्र ऋचाओं वाली है माँ I
उडुगन सी पंख फैलाये
जहां को समेटने वाली है माँ I
दर्पण सी सत्य
भगवन की सुरत वाली है माँ I
यह मेरी मैलिक रचना है अन्यत्र प़काशित नही है।धन्यवाद