माँ.
माँ…….
शब्द नहीं,संसार है माँ,
खुद में ही त्यौहार है माँ
दुख, सुख, फ़िक्र, सब्र ,
रात दिन का इंतजार है माँ
गुस्सा, झिड़क,चिंता,खुशी,
लाड़ और पुचकार है माँ
अच्छा,बुरा,पसंद,नापसंद की,
जानकार है माँ
लोरी,थपकी, मान, मनोबल ,
डांट, फटकार है माँ
घर में सब कलाकार है रिश्तो के,
लेकिन उनमें अहम किरदार है माँ
रोशनी यादव
दिल्ली