माँ
बस इतना ही ज्ञान है,”माँ”ही महान है।
बिन माँ सब सूना है,क्या गोवा क्या पूना है?
हर थकान मिट जाती है,जब माँ आँचल फैलाती है।
उन आँखों में नूर है,छल कपट से दूर है।
कोई कुछ सोचे -कहे,बस माँ बेकसूर है।
बनी आन-बान-शान है तो माँ ही महान है।।
राजा-रंक या हो भूप ,सर्दी-गर्मी या हो धूप,
खुशी-गमीं हर्षोल्लास ,सम हो जाये माँ के पास ,
चहूँ ओर जब हो तिरस्कार,माँ ही देती बाँह पसार,
खुशियाँ महके, थिरके ज्ञान,माँ से ही सब बने महान।
अब तो सबने लिया है जान ,माँ तो होती खूब महान।।
श्याम लाल धानीया
ढाणी राजू(हाँसी)
हिसार -हरियाणा-125033