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15 Nov 2018 · 1 min read

माँ

माँ

मैं रोज
सूरज के उगने
और सूरज के डूबने की
प्रतीक्षा करती हूँ.

रसोई में
चूल्हा जलाती हूँ
तब मेरे लिए
सूरज उग जाता है
जब बुझा देती हूँ
चूल्हा
तब मेरे लिए
सूरज भी डूब जाता है.

फिर
दूसरे दिन के लिए
बैठ जाती हूँ
क्षितिज की ओर आंखें गड़ाये
ताकि किसी दिन
बाँध सकूँ सूरज को
इन चूल्हों के अलावा भी
और आजतक
उसकी प्रतीक्षा में बैठी हूँ.

#मोतीलाल/राउरकेला
7978537176 ( व्हाट्सएप्प )

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 376 Views
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