माँ
माँ माँ…………….
माँ मैं तुझे बहुत प्यार करता हूँ
इस जन्म क्या हर जन्म तेरा बेटा
होने की मैं ख़ुदा से फरियाद करता हूँ।
माँ तेरे आँचल जैसा
सुकूँ कहाँ इस जग में
मैं तो तेरे आँचल जैसे सुकूँ
में खोना चाहता हूँ।
माँ तू ही तो थी जो मेरे अंतर्मन
की आवाज़ सुन लेती थी
हँसते हँसते मेरी हर ज़िद को
तुम पूरा कर देती थी।
हाथ रख मेरे माथे पर
माँ तुम प्यार से सहला देती थी
एक प्यारी सी लोरी सुनाकर
माँ तुम मुझे सुला देती थी।
ख़ुद की अरमानों को दबाकर
ज़िद मेरी तुम्हारे अरमान बन जाते थे
माँ को जगाकर मुझे मुझें सुला देते थे।
अब कई रात मैं चैन से
नही सो पाता हूँ
माँ की लोरी को याद करता हूँ
तो”रो” जाता हूँ।
एक “माँ” शब्द में मुझे कोई
जादू सा लगता है
अंजान हूँ,मैं आज तक इस तथ्य से
माँ मुझे इंसान नही भगवान का अंश
लगता है।
अब मैं खुदा से सिर्फ
माँ तेरे साथ होने की फ़रियाद
करता हूँ।
भूपेंद्र रावत
05/02/2017