माँ
मातु प्रियताभाष में सद्भाव का संगीत है |
आत्मसत की निकटता से भरा स्वर औ गीत है |
उर-सु धड़कन से बना शुभ पालना, सद्प्रेम का |
मात तुझसे उच्च जग में नहीं देखा मीत है|
बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता
उर=हृदय