माँ-एक इंसान हर समाधान
धरती पे आए जिसके कारण
माँ का रूप किया है उसने धारण
अपने सुख दुख को भुला कर
खुद के सौक को अंदर दफना कर
सोचती है बस तेरे बारे में
सोचो क्या पुन किए हो तुमने
हर वक़्त तुम्हारे साथ रहे
तुम्हारे हर मुसीबत में रहे खरे
मूड कर अगर पीछे देख लो कभी
माँ रहे भले क्यू ना रहे कोई
गिरो अगर तो थामे तुम्हें
दर्द हो उसे अगर चोट लगे तुम्हें
खुद सहे ताकि रहे तेरे चेहरे पर हसी
अखिर होती है माँ ऐसी ही
जब सर माँ के गोद में रखे
जब दिल की बात माँ से करे
तो खुद को सुरक्षित मानते हैं
खुद को माँ से जोड़ पाते हैं
अरे सुखरिया करो भागवान से
अगर ना भेजते रख लेते आसमान पे
तो क्या होती ज़िन्दगी तुम्हारी
क्या झेल पाते अकेले मुसीबते सारी
अरे माँ की पूजा करो
जो मांगे उसे पूरा करो
क्या हैं ज़िन्दगी तुम्हारी
ये तो तैफा है माँ की दी हुई
हर असु माँ के आँख से निकली हुई
कीमती वो मोती से भी
कर सकते हो माँ के लिए हर वो चीज़ करो
उनकी खुसी के लिए ज़माने से लड़ लो
जितनी करो माँ के लिए कम है
अखिर कर्ज माँ का चुकापाया कौन है ….
नाम : अतुल कुमार
शेहर: भागलपुर, बिहार