*माँ होती अनमोल है कोइ नहीं उनका मोल*
माँ होती अनमोल है कोइ नहीं उनका मोल
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माँ होती अनमोल है कोइ नहीं उनका मोल,
जब तक है संग माँ खड़ी दिल की बातें बोल।
पूत कपूत बहुत सुने,सुनी ना कोई कुमाता,
बच्चो का दुख हरती आई सबसे ऊँचा नाता।
माँ मनमोहिनी मूर्त सी पल में हो जाती डोल।
जब तक है संग माँ खड़ी दिल की बातें बोल।
देवी दर्शन घर धरे क्यों हरिद्वार केदार जाए,
प्यारा मुख देख माँ का मन गद गद हो जाए,
हाथ जोड़ अरदास करो भेद ह्रदय के खोल।
जब तक है संग माँ खड़ी दिल की बातें बोल।
दुख दर्द देख औलाद का मन पिंघल जाता,
संकट मोचक् माँ का कलेजा मोम हो जाता,
माँ जैसा है रिश्ता नहीं कहने से पहले तोल।
जब तक है संग माँ खड़ी दिल की बातें बोल।
मनसीरत माता बिना कौन हमें लड़ावे लाड,
जिन के संग माँ नहीं उनके फुट गये है भाग,
माँ की पूजा अर्चना करो बजाओ खूब ढोल।
जब तक है संग माँ खड़ी दिल की बातें बोल्।
माँ होती अनमोल है कुछ भी न उनका मोल।
जब तक है संग माँ खड़ी दिल की बातें बोल।
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सुखविंद्र सिंह मानसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैंथल)