माँ है जन्नत
माँ तो है जन्नत की नूर
प्यार करना उसका उसूल।
माँ ही है सारा मूल,
माँ का प्यार है अपरंपार
जो बच्चों से करती प्यार बेशूमार।
लाख बुराइयां हो हममें,
फिर भी हमें अपनाती वो।
माँ है ममता की मुरत,
परमात्मा में भी उनकी सूरत।I
ईश्वर का स्वरुप है माँ,
स्नेह का सागर है माँ।
माँ का ममता और प्यार,
होता है अपरंपार।
माँ त्याग प्रेम की मूर्ति है,
सारे जग में उनकी कीर्ति है।
माँ की गोद लगती है ,
जन्न्त से भी प्यारी।
सारे जग में सबसे न्यारी।
नाम-ममता रानी,राधानगर(बाँका)