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1 Nov 2018 · 1 min read

माँ ही जहां है।

जब जन्म हुआ इस धरती पर माँ का पहला नज़ारा था।
माँ का आंचल मुझको स्वर्ग लोक से प्‍यारा था।
देखूं जब भी माँ को तो मेरा मन खिल जाता था।
उसकी छाती के अमृतपान से जीवन मिल जाता था।।1।।

मेने नन्हे नन्हे पैरों से छाती पर बहुत प्रहार किया।
फिर भी सहनशीलता देखो माँ ने मुझसे प्‍यार किया।
माँ ने मेरे हकलाते शब्दों को संवारा और सुधार किया।
मेरे लाड़,प्यार,परवरिश में जीवन उसने गुजार दिया।।2।।

बिगड़े जरा सी हालत तो, चिंता में वो पड़ जाती थी।
थपकी देकर नींद ले आती और वो लोरी गाती थी।
चेहरे के भाव को देख ,हर बात समझ वो जाती थी।
खुद भूखी वो रहती है पर भूखा ना मुझे सुलाती थी।।3।।

माँ के आशीर्वाद से हर दुःख तकलीफ मिट जाती है।
माँ की मौजूदगी से ही तो घर में खुशियां आती है।
जीवन के हर कदम पर हमें नयी सीख दे जाती है।
जाने कैसा जादू है वो मेरी धड़कन पढ़ जाती है।।4।।

तपती धूप में छाया है प्यार की पावन माया है ।
माँ की महिमा को तो खुद रब ने भी गाया है ।
वो सबसे धनवान है जो माँ का बना सहारा है।
जिसने माँ की मूरत को अपने दिल में बसाया है ।।5।।

कवी-यशवंत पाटीदार
मोबाइल-9770826295

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 347 Views
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