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8 May 2022 · 1 min read

माँ पर तीन मुक्तक

1
हमारे दिल में आशा का नया सूरज उगाती है
कवच बनकर हमें माँ ही बलाओं से बचाती है
सतत सन्तान के सुख को बढ़ाने में लगी रहती
जहाँ काँटे बिछे दिखते वहाँ आँचल बिछाती है
2

भोर सुनहरी रात रुपहली, जीवन की हरियाली माँ
पीती खुद ग़म की हरप्याली,घर लाती खुशहाली माँ
माँ से ही घर घर लगता है,माँ बिन रहता सूनापन
आँगन की तुलसी, रंगोली, है होली दीवाली माँ
3

सिखलाती है सत्य बोलना, झूठ बोलती खुद रहती
बच्चों के हित के खातिर माँ , नई कहानी नित क हती
कितना प्यारा रिश्ता होता है माँ का बच्चों के सँग
अपनों की खुशहाली को वह ,जग के सारे दुख सहती

08-05-2022
डॉ अर्चना गुप्ता

8 Likes · 3 Comments · 534 Views
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