माँ से बिछड़कर जायें कहाँ
तुझसे बिछड़कर जायें कहाँ?
माँ के आँचल से बिछड़कर जायेंगे कहाँ,
माँ के जैसा दूजा नही कोई है यहाँ।।।
माँ की छत्र छाया सदा मैं पाती रहूँ,
माँ के साथ दुनिया में खुशियों के संग रहती रहूँ।।
माँ शब्द से ही मुझें भगवान के दर्शन हो जाते है,
माँ की ममता पाकर भी दुष्ट कपूत भी सपूत हो जाते है।
माँ का जब आशीष मिल जाता है मुझें,
फिर नही कोई दुःख सताता है मुझें।।।
जिनकी माँ नही होती उनसे पूछो माँ का दर्द क्या होता है।
घुटन भरी जिंदगी से मन बहुत दुःख झेलकर सोता है।
माना कि विधाता ने सबको एक जैसा नही बनाया,
माँ की जिसको मिलती रहमत तो उज्जवल हो जाती है काया।।।।
सोनू करलो ममतामयी माँ का जीवन भर गुणगान,
दुनिया मे मिलता रहेगा सदा तुझे सम्मान।।।।
मत करो माँ- बाप का कोई भी तिरस्कार,
जन्नत सी दुनिया मे आने का जिसने दिया है हम सबको अधिकार।।।।।
रचनाकार गायत्री सोनू जैन मंदसौर
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